उत्तर प्रदेश की प्रख्यात सामाजिक संस्था "थिरकन" ने एक बार फिर अपने मिशन को अमली जामा पहनाया। इस बार संस्था के सेवियों ने सूरकुटी जाकर नेत्रहीनों के साथ वक्त बिताया और उनकी समस्याऐं भी सुनी। संस्था की ओर से उन्हे ज़रुरत का सामान और फल भी वितरित किये गये। इस दौरान एस.पी.सिटी उदय प्रताप भी संस्था की और से मौजूद रहे।
कीठम की सूरकुटी मे प्रख्यात सामाजिक संस्था "थिरकन" के कार्यक्रम की शुरुआत नेत्रहीन बच्चों ने भक्ति भजन के साथ की। यहां प्रवास करने वाले नेत्रहीनों की ज़िन्दगी में भले ही अन्धेरा हो लेकिन उनमें प्रतिभा की कोई कमी नही है। "थिरकन" जैसी सामाजिक संस्था हमेशा अपने प्रयासों से इनमें खुशी बांटने की कोशिश करती हैं। इसी कड़ी में संस्था ने इन बच्चों के साथ उनके दुख सुख बांटे। इसके बाद "थिरकन" की और से सूरकुटी में रहने वाले सभी नेत्रहीनों को ज़रुरत का सामान, स्लीपर और फल वितरित किये गये। कार्यक्रम मे संस्था की ओर से विशेषतौर पर शामिल एस.पी. सिटी उदय प्रताप ने कहा कि ये बच्चें भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा हैं। इनकी सेवा और मदद करना अपने आप मे बड़ा काम है। उन्होने संस्था के कार्यों की सराहना करते हुये कहा कि "थिरकन" लगातार समाज सेवा के जो काम कर रही है वो एक दिन दूसरे लोगों के लिये प्रेरणा बन जायेगें। इसलिये हम सभी को कहीं ना कहीं समाज सेवा का भाव ज़रुर रखना चाहिये।
इस मौके पर संस्था से जुड़े शहर के वरिष्ठ सी.ए. सर्वेश कुमार वाजपेयी ने बताया कि इस तरह काम संस्था पिछले नौ सालों से कर रही है और वो भी बिना किसी सरकारी मदद के। संस्था के सदस्य और सहयोगी ही संस्था को चला रहें हैं। वरिष्ठ सदस्य विकास अग्रवाल के मुताबिक संस्था का क्लॉथ बैंक भी सफलता पूर्वक चल रहा है, जहां लोग अपने वो पुराने कपड़े दान करते हैं अब जिन्हे वो नही पहनते और "थिरकन" का क्लॉथ बैंक उन कपड़ों को ज़रुरतमन्द लोगों तक पंहुचा रहा है। विकास ने बताया कि इसी तरह के कैम्प लगाकर संस्था कपड़े बांटेगी।
संस्था की सचिव और प्रख्यात टीवी एंकर नन्दनी सिंह ने अन्त मे सूरकुटी को हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाते हुये सभी सदस्यों, सहयोगियों और एस.पी. सिटी का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन सैय्यद राजू ने किया। इस मौके पर सूरकुटी विधालय के प्राचार्य महेश कुमार, सुपरवाइज़र केदार सिंह, एस.ओ. सिकन्दरा देशराज सिंह, अरमान, चन्द्रशेखर, अमज़द, मनीष शर्मा समेत कई लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम के अन्त मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी याद किया गया।
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