Monday, May 11, 2009
समाज सेवा के साथ रोजगार भी
नई दिल्ली। गैर सरकारी संगठन उन सभी के लिए पहचान या सूचक शब्द बन गया है जो विकास संबंधी कैरियर में जाना चाहते हैं और सामाजिक क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। एक समय ऐसा भी था जब प्रतिभाशाली युवा छात्रों को सिविल सेवा, चिकित्सा और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जाने की सलाह दी जाती थी या छात्र इन क्षेत्रों में रुचि रखते थे। एनजीओ ऐसे संगठन हैं जो विशिष्ट प्रयोजन से गठित किए गए हैं अर्थात उन्हें किसी कारण कोई मिशन पूरा करना है। ये संगठन विभिन्न निधि देनेवाली एजेंसियों से अपेक्षित धनराशि प्राप्त करते हैं। जैसे - बड़े कॉरपोरेट हाउस, अंतर्राष्ट्रीय संगठन एवं सरकार। इसीलिए एनजीओ कैरियर का अर्थ अनिवार्यत: सामाजिक कार्यकर्ता होना ही नहीं है। अनेक विभाग मिलकर एनजीओ की रूपरेखा तैयार करते हैं। सामान्यत: एनजीओ में दो प्रमुख यूनिट्स होती हैं - पहला प्रशासनिक और दूसरा परियोजना। परियोजना यूनिट एनजीओ द्वारा ली गई परियोजनाओं से संबंधित कार्य करती है। उदाहरण के तौर पर, पर्यावरण संबंधी एनजीओ प्रदूषण नियंत्रण अभियान के संबंध में कार्य करता है, जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यशील एनजीओ एड्स नियत्रण अभियान की दिशा में कार्य कर सकता है। भारत जैसे विकासशील देश में सामाजिक कार्यकर्ता अनेक क्षेत्रों में से कोई क्षेत्र चुन सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों से अनेक एनजीओ विकास के क्षेत्र में सामने आए हैं। भारत में विभिन्न प्रकार के एनजीओ हैं। 'चाइल्ड रिलीफ एंड यू' (क्राई-सीआरवाई) एवं 'बटरफ्लाई' बच्चों के लिए कार्य करते हैं। 'संजीवनी' संस्था मानसिक चुनौतियों का सामना करती है। 'वातावरण' एनजीओ सेंटर फॉर साइंस एंड एंवॉयरमेंट तथा संरक्षण पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित है। आदिवासी क्षेत्रों में एनजीओ कार्य कर रहे हैं। 'सहेली', 'साक्षी' और 'राही' खासतौर पर महिलाओं की समस्याएं निपटाती हैं। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में समाज के सामने अनेक समस्याओं पर विचार करते हुए एनजीओ क्षेत्र में आने के लिए इच्छुक व्यक्ति के सामने असंख्य क्षेत्र हैं।
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